"शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति में आत्मिक और मानसिक रूप से पूर्ण सक्षम होने का विश्वास जगाना है"
आज के समय में हल्द्वानी में स्कूलों की बाढ़ आ गई है, अभिभावक होने की नाते मैं आपसे गुजारिश करना चाहता हूं कि बच्चों के एडमिशन के लिए आप एक प्रमाण बिंदु वाला स्केल देखें आप अपने पाल्य के लिए ऐसा विद्यालय देखें कि जहां शिक्षा के साथ-साथ बौद्धिक एवं नैतिक मूल्यों पर विशेष ध्यान दिया जाता है महान दार्शनिक एवं शिक्षाविद महर्षि श्रीअरविंद के अनुसार "शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति में आत्मिक और मानसिक रूप से पूर्ण सक्षम होने का विश्वास जगाना है"
हम स्वयं को गौरांवित महसूस करते हैं कि वुडलैंड्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल, हल्द्वानी का एकमात्र ऐसा इंग्लिश मीडियम विद्यालय है जो कि महर्षि अरविंद तथा श्री मां की शिक्षा प्रणाली का पालन कर रहा है यहां विद्यार्थियों के साथ-साथ शिक्षकों की गुणवत्ता बढ़ाने हेतु विशेष प्रयास किए जाते हैं
आपने संस्कृत श्लोक सुना होगा जो कि विद्यार्थियों को पूर्णतया परिभाषित करता है -
'काक चेष्टा, बको ध्यानं,
स्वान निद्रा तथैव च।
अल्पहारी, गृहत्यागी, विद्यार्थी पंच लक्षणं'.
इसी दोहे में वह प्रमाण बिंदु है जिन्हें आपको एडमिशन के समय देखना है एक अच्छे विद्यालय का कार्य बच्चे के अंदर कौवे की जैसी चेष्टा, बगुले के जैसा ध्यान, श्वान जैसी सजगता, संतुलित आहार के साथ साथ माता-पिता के लाड प्यार का नाजायज फायदा उठाना नहीं सिखाना हैं अपितु
हम बच्चे के भीतर छिपी हुई प्रतिभा को जांच कर उसके ऊपर काम करते हैं जिससे वह अपनी कमियों पर काबू पा लेता है और उसकी चेष्टाएं अच्छे कार्य के लिए बढ़ती हैं हम पढ़ाई के साथ ही साथ ध्यान मुद्रा (Meditation) योग क्रिया के द्वारा बच्चों की मानसिक स्थिति को सदृढ़ बनाते हैं जिससे उसकी एकाग्रता मजबूत होती है और वह अपने कार्य के प्रति काफी सजग रहते हुए बुलंदियों की ओर बढ़ता है और अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। अच्छी पढ़ाई, स्वच्छ वातावरण मूलभूत सुविधाएं ही विद्यालय का एकमात्र लक्ष्य नहीं होना चाहिए।
विद्यार्थी का आंतरिक आंकलन उसकी दृढ़ इच्छा शक्ति उसकी एकाग्रता का विकास यही हमारा प्रथम उद्देश्य है उसे अपनी सांस्कृतिक समझ, देश प्रेम के साथ ही साथ विनम्रता के साथ सेवा भाव का पाठ पढ़ना भी जरूरी होता है, इन सभी बिंदुओं को हम पढ़ाई के साथ साथ लेकर चलते हैं। हम ब्रेन जिम, विज्ञान और ग़णित संबंधित क्रियाकलाप, स्पोकेन इंग्लिश, व्यक्तित्व विकास, SOF ओलंपियाड, विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, वृक्षारोपण, टैलेंट हंट आदि क्रियाकलापों से विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास एवं उसके अच्छे चयनित उच्च आदर्शों के लिए प्रतिबद्ध रहते हैं।
हम विद्यार्थी एवं उसके अभिभावक के बीच एक कड़ी का काम करते हैं और समय-समय पर हम उसकी घरेलू गतिविधियों पर भी नजर रखते हैं जिसके परिणाम स्वरुप बच्चे पर इसका अच्छा प्रभाव दिखता है एवं उसकी विद्यालय एवं शिक्षक के प्रति सजगता बढ़ जाती है इसके लिए हम समय-समय पर शिक्षक अभिभावक मीटिंग का आयोजन करते हैं और विद्यार्थी के जीवन में आने वाली प्रतिकूल वैचारिक परिस्थितियों का निराकरण करते हैं हम उसे माता-पिता द्वारा प्रदत्त इस जीवन को गरिमामई बनाने की प्रेरणा भी देते हैं उसे इस बात की शिक्षा भी दी जाती है कि वह पारिवारिक संबंधों में उतना ही विलीन रहे जिससे उसकी पढ़ाई पर कोई दुष्प्रभाव ना पड़े।
इसके साथ ही मैं अभिभावकों को इसलिए भी सचेत करना चाहूंगा कि अपने पाल्य को भीड़ का हिस्सा ना बनाएं, क्या यह मुमकिन है कि एक शिक्षक अपने 40 मिनट के वादन में 50-60 बच्चों पर ध्यान केंद्रित कर सके? नहीं क्योंकि इस 40 मिनट के वादन में उसने बच्चों को दिया हुआ कार्य भी जांचना है नया कार्य भी करवाना है एवं इसका भी ध्यान रखना है कि प्रत्येक बच्चा संबंधित किताब व कॉपी लाया है या नहीं उसका ध्यान कक्ष में है या नहीं जो कि असंभव जान पड़ता है इसलिए विद्यालय का चुनाव करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जहां आप बच्चों का एडमिशन कर रहे हैं वहां शिक्षक विद्यार्थी अनुपात कैसा है क्योंकि यही अनुपात बच्चों के विकास का द्योतक है।
आपको ज्ञात होगा कि सरकार के आदेश अनुसार सभी स्कूलों में सीबीएसई हो या राज्य शिक्षा विभाग से मान्यता प्राप्त हो, एनसीईआरटी पाठ्यक्रम ही सब जगह चलाया जाना जरूरी है इसके परिप्रेक्ष्य में मेरा निवेदन है कि आप चाहे सीबीएसई हो या राजकीय मान्यता प्राप्त हो, दोनों का दर्जा बराबरी का ही है। हमारा विद्यालय में पूर्णतया NEP 2020 के अनुरूप पाठ्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। मैं कहूंगा कि आपका बच्चा यदि राजकीय मान्यता प्राप्त विद्यालय में है तो उसका भविष्य काफी अच्छा है क्योंकि बोर्ड परीक्षा में सम्मिलित विद्यार्थियों को अच्छे अंक लाने पर ग्रीन कार्ड (भविष्य की किसी भी उच्चतर सरकारी शिक्षण संस्थान में शिक्षा के लिए राजकीय अनुदान) मिलता है जिससे बच्चा आर्थिक तंगी होने पर भी उच्च शिक्षा से वंचित नहीं होता है।
अंततः मैं प्रत्येक अभिभावक से कहना चाहूंगा कि बच्चों के एडमिशन के समय प्रत्येक तथ्य जैसे विद्यालय भवन, प्रांगण, कक्षा - कक्ष आदि का भौतिक निरीक्षण करें जिससे आप आश्वस्त रहे कि आपका बच्चा उन सभी भौतिक संसाधनों का प्रयोग कर सके जिसकी उसे पढ़ाई के साथ-साथ आवश्यकता है ।
धन्यवाद